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Wednesday, March 10, 2021

पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी अर्थात्‌ सफला एकादशी (Saphala Ekadashi Vrat)

पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी अर्थात्‌ सफला एकादशी -

सफला एकदशी पारंपरिक हिंदू कैलेंडर में 'पौष" माह/ महीने के दौरान कृष्ण पक्ष के 'एकदशी' (11 वें दिन) पर मनाया गया शुभ उपवास है। इस एकदाशी को 'पौष कृष्ण एकादशी' भी कहा जाता है। यदि आप ग्रेगोरीयन कैलेंडर का पालन करते हैं तो इसे दिसंबर से जनवरी के महीनों के बीच मनाया जाता है। सफला एकदशी का दिन हिंदुओं के लिए पवित्र है क्योंकि यह माना जाता है कि इस दिन ईमानदारी से उपवास करके भक्त अपने पापों को दूर कर सकते हैं और आनंदित जीवन का आनंद उठा सकते हैं। एकदशी एक श्रद्धेय और पवित्र दिन है जो हर चंद्र हिंदू माह में दो बार आती है और इस दिन विश्व के संरक्षक भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।


सफला एकादशी व्रत विधि

पद्म पुराण के अनुसार सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु का विधि- विधान के साथ पूजन किया जाता है। सफला एकादशी के दिन उपवास करना चाहिए। दीप, धूप, नारियल, फल, सुपारी, बिजौरा, नींबू, अनार, सुंदर आंवला, लौंग, बेर, आम आदि से भगवान श्रीहरि की आराधना करनी चाहिए। पद्म पुराण के अनुसार सफला एकादशी के दिन दीप दान करने का विशेष विधान है।

द्वादशी तिथि को पूजा करने बाद भगवान विष्णु की आरती कर भगवान को भोग लगाना चाहिए। भोग लगाने व प्रसाद वितरण के बाद ब्राह्मण को भोजन करना चाहिए। सफला एकादशी का व्रत अपने नाम के अनुसार फल देता है। हिन्दू धर्मानुसार इस व्रत के पुण्य से मनुष्य के सभी कार्य सफल होते हैं और उसके पाप खत्म हो जाते हैं।
सफला एकदशी का महत्व
सफला एकदशी का महत्व ‘ब्रह्मांडा पुराण' में धर्मराज युधिष्ठिर और भगवान कृष्ण के बीच बातचीत के रूप में वर्णित है। हिंदू ग्रंथों के मुताबिक यह कहा जाता है कि राजसूया यज्ञ और अश्वमेधि यज्ञ मिल कर भी इतना लाभ नहीं दे सकते, जितना सफला एकदशी का व्रत रख कर मिल सकता हैं। सफला एकदशी व्रत रखने से दुःखों की समाप्ति होती है और भगवत प्रेम बढता हैं। 

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